धरती उगल रही सोना, कोर से पिघलकर ऊपर आ रही बेशकीमती धातु, वैज्ञानिकों को ज्वालामुखी के अध्ययन में मिले चौंकाने वाले सबूत

 

ज्ञानिकों ने पाया है कि पृथ्वी की कोर सोना और अन्य कीमती धातुओं को बाहर उगल रही है। वैज्ञानिकों को हवाई की ज्वालामुखीय चट्टानों के अध्ययन में इसका पता चला है। अनुमान है कि बहुत ज्यादा सोना कोर में मौजूद है।

Earth leaking gold
वैज्ञानिकों ने पाया है कि धरती सोना उगल रही है (फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाले अध्ययन में पाया है कि धरती अपनी कोर से सोना और दूसरी कीमती धातुओं को बाहर उगल रही है। साइंस अलर्ट की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि पृथ्वी का 99.99 प्रतिशत से अधिक सोना और कीमती धातुएं 3000 किमी की ठोस चट्टान के नीचे दबी हुई है। ये बेशकीमती संसाधन 4.5 अरब साल पहले हमारी पृथ्वी के निर्माण के बाद से ही इसके अंदर बंद पड़े हैं। हाल ही में जर्मनी की गॉटिंगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के दल को अमेरिका के द्वीपीय राज्य हवाई की ज्वालामुखीय चट्टानों के अध्ययन के दौरान ये जानकारी मिली है। इस अध्ययन को नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने ट्रस तत्वों का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया। इस दौरान वैज्ञानिकों का बेशकीमती धातु रूथेनियम आइसोटोप का असामान्य रूप से उच्च स्तर पाया, जो पृथ्वी के मेंटल की तुलना में इसके कोर में अधिक प्रचलित है। इससे पता चलता है कि बाहर ज्वालामुखी का जो लावा निकला है वह पृथ्वी के भीतर कोर में बना है।

धरती के अंदर से आया सोना

गॉटिंगेन विश्वविद्यालय में भू-रसायन विशेषज्ञ निल्स मेसलिंग ने बताया कि पहले नतीजे आने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने सचमुच सोना खोज लिया है। उन्होंने कहा, 'हमारे डेटा ने पुष्टि की कि कोर से जो सामग्री पृथ्वी के ऊपरी मेंटल में लीक हो रही है, उसमें सोना और अन्य कीमती धातुएं शामिल हैं।'

कोर से सतह पर आ रही सामग्री

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि पृथ्वी का कोर पहले की तुलना में अब कम अलग-थलग है। ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान कोर सामग्री सतह पर पहुंच रही है। इसने भविष्य में वैज्ञानिक शोधों के लिए नए अवसरों की संभावना बढ़ाई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि रूथेनियम आइसोटोप्स कोर-मेंटल संपर्क का अध्ययन करने के लिए एक नए ट्रेसर के रूप में काम कर सकते हैं।

कोर और मेंटल के बार में नई जानकारी

अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर मैथियास विलबोल्ड ने निष्कर्षों के महत्व पर जोर दिया और कहा, हमारे निष्कर्ष न केवल यह दर्शाते हैं कि पृथ्वी का कोर उतना पृथक नहीं है, जितना पहले माना जाता था। अब हम यह भी साबित कर सकते हैं कि अति-उच्च तापमान वाली मेंटल सामग्री की विशाल मात्रा कोर मेंटल सीमा पर उत्पन्न होती है और पृथ्वी की सतह पर आकर हवाई जैसे महासागरीय द्वीप बनाती है।

स्टडी से यह भी पता चलता है कि दुनिया में खोजा गया कुछ सोना और कीमती धातु असल में पृथ्वी के कोर से पैदा हुई हो सकती है। हालांकि, शोधकर्ता अभी इस बात पर निश्चित नहीं है कि स्टडी में देखा गया कोर से होने वाला लीक पूरे ग्रह पर समान रूप से रहा है या नहीं। लेकिन इसने हमारी पृथ्वी के अंदर की हलचल को लेकर एक नया नजरिया जरूर दिया है।

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